अघोरी साधु को अघौड भी कहा जाता है। “अघोरी” उसे कहा जाता है जिसके भीतर अछे -बुरे , सुख -दुःख , प्रेम -द्वेष , ईर्षा -मोह जैसे समस्त भाब नष्ट हो चुके हो। ये अघोरी कई बार अनेक दिन तक श्मशान साधना करने के बाद हिमालय या जंगल में बिलीन हो जाते हैं।
पहली बार “अघोर तंत्र ” की यह ब्लॉग अघोरी बाबा के आशीर्वाद के रूप में आप सबके सामने लाया हूँ। यंहा दिये गये मंत्र , साधना ब टोटके अघोरी साधु की अनुमति से ही प्राप्त हुए है। ये अघोरी टोटके एबं साधना के अनोखा प्रयोग आपको यंहा हमारा ब्लॉग पर आसानी से प्राप्त हो जाएगा। अघोरी पंथ का परिचय एबं अघोरियों द्वारा प्रयोग किए जाने बाले अघोर मन्त्रों का संकलन इस ब्लॉग का बिशिष्ट्ता है।
शैब सम्प्रदाय में साधना की एक रहस्यमयी शाखा है अघोर पंथ । अघोरियों को डराबना या खतरनाक साधु समझा जाता है, लेकिन अघोर का अर्थ है अ + घोर अर्थात जो घोर नहीं हो, सरल हो, जिसमें कोई भेदभाब न हो। सरल व सहज वनने हेतु ही अघोरी कठिन मार्ग अपनाते हैं।
अघोरी बिद्या बास्तब में भयानक नहीं है , मात्र इसका स्वरूप भयानक है। किसी के प्रति घृणा न रखकर लोक कल्याण की भाबना रखना ही अघोर बिद्या है। अघोर बिद्या कठिन किन्तु तत्काल फलित होने बाली है।
यह ब्लॉग आप सबके भलाई और जानकारी केलिए दिया गया है, जिससे आप सबका भला हो सके। आप एक बार पूरी अघोर तंत्र ब्लॉग अछे से पढ़ लिया करो। अबश्य ही आपकी कुछ राय भी बनी होगी। आप अपनी राय से अबश्य अबगत कराबें और साथ ही इस बात का बिशेष ध्यान रखें कि ब्लॉग में दिये गये आदेशों, निर्देशों का भली -भांति पालन किये बिना, आप कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते। बिना कठोर परिश्रम, सतत साधना, श्रद्धा और बिश्वास के कोई भी सिद्धि कभी भी सम्भब नहीं है।
साधना कोई अलौकिक, चमत्कारी शक्ति नहीं है।
सिद्धि कोई ईश्वरीय बरदान नहीं है ।
धैर्य, साहस, लगन, समय और निरंतर साधना तथा कठोर संयम के द्वारा ही यह सम्भब है। आदिकाल से यही होता चला आया है। बर्षों की अथक साधना परिश्रम के उपरान्त ही हमारे बिद्वान ऋषि -मुनि अघौड, अबधूत इसमें सफलता या सिद्धि प्राप्त करते थे।राजर्षि बिश्वामित्र को ब्रह्मर्षि का पद प्राप्त करने के लिए कितनी बार असफल होना पड़ा था।
तंत्र बास्तब में एक शुद्ध समय की कसौटी पर परखा गया शुद्ध बिज्ञान है। सत्य तो यह है कि यह कोई ईश्वरीय बरदान, अलौकिक शक्ति या रहस्यमयी गोपनीय बिद्या नहीं है, बरन सिद्धांतों नियमों तथा शुद्ध साधना पर आधारित एक क्रिया है। हाँ इसका परिणाम अबश्य साधारण ब्यक्ति को चमत्कृत करते हैं।
साधना के मध्य यह भी ध्यान रखें कि इस गोपनीय साधना को पदर्शन, ब्यापार या जीबिका का साधन न बनायें । “बाजही तंत्र” में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि- यश, धन और ब्यक्तिगत स्वार्थ पूर्ति के लिये जो लोग “तांत्रिक ” बनना चाहते हैं, वह यत्नपुर्बक तांत्रिक तो अबश्य बन सकते हैं, लेकिन उनका अंत बड़ा ही दुखद और करुण होता है। तंत्र केबल जनहिताय है। उसका उद्देश्य “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय” ही है। योग्य तांत्रिक बनने के लिये आपको हठ, दुराग्रह और कुतर्क छोड़ना पडेगा। श्रद्धा और बिश्वास उत्पन्न करना ही होगा। अपने इष्ट और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण का भाब लाना ही होगा, अपनी बात को छोड़कर गुरु की हाँ में हाँ करनी ही होगी। यह सब स्वाभाबिक बातें अपने आप में पैदा करें, आप एक दिन सफल तांत्रिक अबश्य बनेंगे यह बिश्वास कर, साधना के पथ पर आगे बढे।
आजकल तांत्रिक अपना रूतबा दिखाने के लिये प्राय: पीड़ित को अपने साधना स्थल पर बुलाते हैं, उनको प्रभाबित करने के उद्देश्य से अनेक चमत्कार दिखलाते है। इसके पीछे उनका उद्देश्य जनता को प्रभाबित करना ही होता है। इस प्रकार वह अपनी महत्वा दिखलाते हैं । आप ऐसा कदापि न करें। आप इस बात का बिशेष ध्यान रखें आपके साधना कक्ष में हर ब्यक्ति हर समय न आये जाये ।
आप यह सूत्र सदैब ध्यान रखें, तंत्र एक साधना है। एक अति गोपनीय बिद्या है। जितने गोपनीय ढंग से आप साधना करेंगे उतना ही अच्छा है।
आप हमें अबश्य ही आपका अनुभब अबगत कराये। यह बिषय बहुत बिस्तृत है। अघोर तंत्र (Aghor Tantra) साधना भी न केबल जोखिम से भरी है बरन लम्बी भी है। फिर भी इस छोटे से आकर में मैं अपने प्रयास में कंहा तक सफल हो सका हूँ, इसका निर्णय तो आप ही करेंगे ।
सहृदय पाठकों ! आपके साधना के ऊपर अनुभब, जँहा मेरा उत्साह और हौसला बढाते हैं, वहाँ भरपूर मार्गदर्शन भी करते है। आप इस तथ्य को सदैब ध्यान रखें ।
आपका आचार्य प्रदीप कुमार
मो :+91-9438741641 (Call/ WhatsApp)